एक सत्ताधारी दल हमेशा यही चाहता है कि उसका विपक्ष भी उसी की भाषा में बात करे। जब विपक्ष ही सत्ताधारी दल का पक्ष लेने लगे तो कार्य करना और भी आसान हो जाता है। भाजपा ने काफी हद तक विपक्ष को अपने लपेटे में ले लिया है। भाजपा ने राजनीति का ऐसा चक्रव्यूह रचा है कि विपक्ष अब उन्हीं के इशारों पर नाच रहा है। कांग्रेस का हाल तो कुछ ऐसा हो गया है कि पहले तक वो भाजपा के जिन बातों का विरोध किया करते थे, आज वो उन्ही बातों का समर्थन करते नजर आते है।
बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक, हिंसा, नागरिकता कानून और कांग्रेस का बदलता रुख।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक है, और वहां से आए दिन हिन्दुओं पर हो रही प्रताड़ना की खबरे आती रहती है। इस बार नवरात्री उत्सव के दौरान बांग्लादेश में हालात और भी बिगड़ गए। बांग्लादेश में एक फोटो वायरल हुई जिसमें माँ दुर्गा की प्रतिमा के नीचे कुरान दिख रही थी। इस फोटो पर भड़के कट्टरपंथियों ने हिंदू मंदिरों और घरों में तोड़-फोड़ व आगजनी शुरू कर दी। 3 दिन तक चली इस हिंसा के दौरान बहुत सी हिंदू बस्तियां जला दी गयी, 2 पुजारियों की मौत हुई, वहीं एक हिंदू परिवार के 2 महिलाओं के बलात्कार की भी घटना सामने आयी। आपको बता दे की एक बलात्कार पीड़िता छोटी बच्ची थी जिसकी बाद में मौत हो गयी थी। इस हिंसा का दौर बांग्लादेश में अभी तक थमा नहीं है, अभी भी कुछ जगहों पर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है।
आप सोच रहे होंगे की बांग्लादेश में हो रही हिंसा से भारतीय विपक्ष का क्या ताल्लुक और वो इस विवाद में क्यों पड़ेंगे?
आपको बता दे कि जब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) 2019 में पास हुआ था, तो कांग्रेस ने इस कानून का पुरज़ोर विरोध किया था। आलम तो ये था कि इस कानून का विरोध करने के लिए खुद सोनिया गांधी भी मैदान में उतर गई थी। ये वही समय है जब वामपंथियों ने शाहीन बाग में अपना जमावड़ा लगा कर दिल्ली की सड़को को 1 साल तक जाम कर रखा था। नागरिकता संशोधन कानून के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल जाती। लेकिन इन कानूनों के विरोध के कारण आज तक सरकार इसे लागू नहीं कर पाई।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज और बांग्लादेश में नवरात्री के दौरान हिंसा के बाद अब कांग्रेस के ही कुछ लोग नागरिकता संशोधन कानून की बात करने लगे है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, मिलिंद देवड़ा ने अभी हाल ही में नागरिक संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि, ‘बांग्लादेश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा बेहद चिंताजनक है। धार्मिक उत्पीड़न से पलायन कर रहे बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा और पुनर्वास पुनर्वास के लिए CAA में संशोधन किया जाना चाहिए।’
इसके बाद देवड़ा ने लिखा कि भारत को बांग्लादेशी इस्लामवादियों के साथ भारतीय मुसलमानों की बराबरी करने के किसी भी सांप्रदायिक प्रयास को अस्वीकार और विफल करना चाहिए।
हाल ही में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी बांग्लादेश और कश्मीर में गैर-मुसलमानों की हत्या को लेकर सवाल उठाया था। तिवारी ने ट्विटर पर लिखा कि कश्मीर और बांग्लादेश में हो रही गैर-मुसलमानों की हत्या और पुंछ में 9 जवानों की शहादत के बीच कोई लिंक है। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि दक्षिण एशिया में एक बड़ा इस्लामिक एजेंडा काम कर रहा है।
धारा 370 पर बदलता रहता है कांग्रेस का रुख।
धारा 370 को पूर्ण रूप से हटाए 2 साल से भी अधिक हो चूके है, लेकिन कांग्रेस आज तक इस मुद्दे पर अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रख पाई। कांग्रेस के कुछ नेता कहते है कि धारा 370 हटाया जाना उचित था, वहीं कुछ नेता आज भी इसका विरोध करते है। कांग्रेस के बहुत से नेताओं ने तो अब एक बीच का रास्ता भी निकाल लिया है, वो कहते है कि धारा 370 हटाया जाना तो उचित था लेकिन जिस तरीके से हटाया गया वह असंवैधानिक था।
हालांकि, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने भी यह कहा था कि जिस तरीके से धारा 370 हटाया गया उससे उन्हें परेशानी थी ना की 370 के हटाए जाने से लेकिन भुबनेश्वर कलिता के वायरल पत्र ने सारी पोल खोलकर रख दी थी। आपको बता दे कि भुबनेश्वर कलिता असम से कांग्रेस के राज्य सभा सांसद थे और वह गांधी परिवार के भी काफी करीबी माने जाते थे। कश्मीर मुद्दे को लेकर कलिता पार्टी से काफी नाराज थे और जिस दिन उन्हें संसद में व्हिप जारी करने को कहा गया था उसी दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
कलिता का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमे उन्होंने लिखा था कि, ‘आज कांग्रेस ने मुझे कश्मीर मुद्दे के बारे में व्हिप जारी करने को कहा है। जबकि सच्चाई ये है कि देश का मिजाज पूरी तरह से बदल चुका है और ये व्हिप देश की जन भावना के खिलाफ है। जहां तक आर्टिकल 370 की बात है तो पंडित नेहरू ने खुद इसके विरोध में कहा था, आर्टिकल 370 एक दिन घिसते-घिसते पूरी तरह घिस जाएगा।’ कलिता ने अपने पत्र के आखिर में यह भी लिखा था कि अब कांग्रेस को तबाह होने से कोई नहीं बचा सकता, ऐसा उनका मानना है। कांग्रेस से इस्तीफा देने के कुछ ही दिन बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया था।
फिलहाल भारतीय राजनीति में ‘राष्ट्रवाद’ सबसे महत्वपूर्ण शब्द बन गया है। भाजपा ने खुद को एक राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में पूरी तरह से स्थापित कर लिया है और भाजपा को टक्कर देने के लिए सभी राजनैतिक दल व उनके नेता खुद को राष्ट्रवादी साबित करने में लग गए है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा ने देश की राजनीति को ही पूरी तरह से बदलकर रख दिया है और अब वह विपक्ष को अपने तरीके से इस चक्रव्यूह में फंसा रही है।