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प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रोका जाना संयोग या प्रयोग?

PM Modi security breach: एक देश जिसने अराजक तत्वों के कारण अपने दो प्रधानमंत्रीयों को खो दिया हो, उसे हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहिए। लेकिन आज के दिन जो कुछ भी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ हुआ, उसे देखकर ऐसा लगता नहीं है कि हमने अपनी पिछली गलतियों से कुछ सीखा है। आज प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट से ज्यादा समय तक एक फ्लाईओवर के ऊपर खुले में खड़ा रहा। इतना ही नहीं, विरोध कर रहें लोग भी प्रधानमंत्री के काफिले के बेहद करीब थे। क्या होता अगर कुछ अनहोनी हो जाती तो? किसकी जवाबदेही होती?

खैर यह दो सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब मिलना मुश्किल है क्योंकि अब इस पर सिर्फ राजनीति ही हो सकती है। भाजपा का कहना है कि पंजाब सरकार की गलती है वहीं कांग्रेस का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां प्रधानमंत्री की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में असफल रहीं।

हालांकि सुरक्षा की बात उठ ही गई है तो आज हम आपको एक और बात याद दिलाना चाहेंगे कि अभी कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा के लिए SPG ने Mercedes-Maybach S650 कार को काफिले में शामिल किया था। इसको लेकर भी राजनैतिक दलों, खासकर की कांग्रेस ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी। आलम तो ये हो गया था कि सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ गया। आज कांग्रेस शासित राज्य में ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हो जाना गंभीर सवाल खड़े कर देता है।

चारों ओर से खुला था प्रधानमंत्री का काफिला।

गुरदासपुर नेशनल हाईवे पर हो रहे प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट से ज्यादा समय तक फ्लाईओवर के ऊपर खड़ा रहा। जैसे ही मोदी के काफिले को रोका गया, SPG कमांडो तुरंत एक्शन में आ गए। उन्होंने गाड़ी के आस-पास सुरक्षा का एक जाल बना दिया, लेकिन पुल के ऊपर खड़े रहने की वजह से गाड़ी को साफ-साफ देखा जा सकता था। आपको यह भी बता दें कि उस पुल से महज 10 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान की सीमा है। सुरक्षा में हुई इस चूक को हल्के में नहीं लिया जा सकता, जवाबदेही तो तय करनी ही पड़ेगी, ताकि आगे से कुछ भी ऐसा ना हो।

हालांकि आज के दिन भी कुछ नेताओं ने अपनी तुच्छ मानसिकता का परिचय दे ही दिया। वे लोग यह भूल गए कि प्रधानमंत्री पार्टी का नहीं, बल्कि का देश का होता है। उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? लेकिन वह इसलिए खुश थे क्योंकि प्रधानमंत्री को अपना दौरा रद्द करना पड़ा।

मानसिक रूप से छोटे व घटिया राजनीति में लिप्त लोगों से इससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती। हाल ही में जब सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मृत्यु हुई थी तब भी कुछ लोगों ने खुशियां मनाई थी, तो यह कोई नई बात नहीं रह गई है। रावत जी ने सही ही कहा था कि हम 2.5 फ्रंट पर वाॅर लड़ रहे है।

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