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कोट्टायम कोर्ट ने नन से रेप के आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) को बरी कर दिया है।

Bishop Franco Mulakkal acquited in Kerala nun rape case

Kerala Nun Rape Case: कोट्टायम के एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने शुक्रवार को बलात्कार (rape) के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) को बरी (acquitted) कर दिया। मुलक्कल बलात्कार के आरोप में जेल जाने वाले भारत के पहले बिशप थे।

2018 में बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) के खिलाफ एक नन ने 2 साल में 13 बार बलात्कार (rape) करने का आरोप लगाया था। 2018 में जब यह आरोप लगा था, तब मुलक्कल जालंधर (Jalandhar), पंजाब सूबे में कार्यरत बिशप थे। पहले तो इस मामले को दबाने की बहुत कोशिश की गयी थी, लेकिन जब देश भर में लोगों ने इसका विरोध करना शुरू किया तब दबाव में आकर केरल पुलिस ने मुलक्कल को गिरफ्तार किया।

पुलिस द्वारा रेप के मामले में आरोपित किए जाने के बाद मुलक्कल को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। जून 2018 में जब पीड़िता नन ने पहली बार बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) के खिलाफ पोप कार्यालय (Pope Office) में आरोप लगाया था तब उसकी सुनवाई तक नहीं हुई। बड़े पादरी होने के कारण मुलक्कल के खिलाफ उच्च अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

आखिरकार जून 2018 में नन ने कोट्टायम जिला पुलिस प्रमुख से शिकायत की जिसके बाद बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के दौरान मुलक्कल पंजाब में जालंधर सूबे के प्रमुख थे।

किन धाराओं में लिखा गया था मुकदमा?

बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) के खिलाफ धारा 342 (ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करना), 376 (2) (k), 376 (2) (n) (10 साल तक का कठोर कारावास), 376C (a) (रिमांड होम आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग), 377 (अप्राकृतिक अपराध) और भारतीय दंड संहिता के 506 (ii) (धमकी) के तहत मुकदमा लिखा गया था। सितम्बर 2018 में पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद मुलक्कल को 25 दिन की न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया।

इस मामले की सुनवाई अदालत ने सितंबर 2020 में ही शुरू कर दी थी लेकिन मुलक्कल के वकील के अनुरोध पर अदालत ने मीडिया को मुकदमे से संबंधित किसी भी मामले को प्रकाशित ना करने की अपील की। इस दौरान मुलक्कल ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को रद्द करवाने के लिए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। लेकिन अदालत ने मुलक्कल की याचिका खारिज कर दी थी।

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