इस देश के न्यायाधीश व न्यायालयों से एक हिंदू के कुछ प्रश्न; अगर हिम्मत और नैतिकता बची है तो जवाब जरूर दीजियेगा। Editor Picks Opinions by Parakram News - July 1, 2022July 1, 2022 धर्म संसद में दी जाने वाली हेट स्पीच का आप स्वतः संज्ञान ले लेते हैं तो मौलाना तौकीर रज़ा द्वारा लगातार दिए गए भड़काऊ भाषणों पर चुप्पी क्यों? अगर नुपुर शर्मा के बयान के कारण उदयपुर में कन्हैया लाल जी की हत्या हुई है तो उस्मान रहमानी, जिसने हमारे महादेव पर विवादित टिप्पणी की और नुपुर को भड़काया, उसकी जवाबदेही अब तक तय नहीं हुई, ऐसा क्यों? ओवैसी का छोटा भाई, अकबरुद्दीन ओवैसी जिसने हमारी देवी माता सीता पर अभद्र टिप्पणी की, वो बाइज्जत बरी क्यों? इस देश में हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक बनाने वाले व्यक्ति को हमारा न्यायतंत्र 24 घंटे के अंदर बरी (रतन लाल) कर देता है तो गुस्ताख़-ए-नबी की एक ही सज़ा क्यों? अगर नबी के बारे में बोलना गुस्ताखी है तो हमारे महादेव, राम, सीता, कृष्ण, गणेश, आदि भगवानों के ऊपर अभद्र टिप्पणी करना अभिव्यक्ति की आज़ादी (FoE) क्यों? नुपुर शर्मा ने ऐसा विवादित बयान क्यों दिया? उन्होंने ये किस किताब में पढ़ा था? अगर वो किताब गलत व नफ़रत फैलाने वाली है तो सुप्रीम कोर्ट उसे बैन क्यों नहीं कर देती? जिस किताब के चंद शब्दों से किसी की जान पर बात आ जाए उसका स्वतः संज्ञान अबतक क्यों नहीं लिया गया। ये सवाल सिर्फ जस्टिस सुर्य कांत और जस्टिस पारदीवाला के लिए ही नहीं, सभी जज साहब लोगों के लिए है। अगर आप तक किसी भी तरह ये सवाल पहुंच जाते हैं तो कृपया मेरे इन सवालों के जवाब जरूर दे दीजिएगा। अगर सवाल बुरे लगें, तो आप अवमानना का मुकदमा चला सकते हैं क्योंकि नुपुर शर्मा विवाद को लेकर सुर्य कांत एवं पारदीवाला जी द्वारा दिए गए बयानों से मैं बिलकुल भी सहमत नहीं हूं। सहमति तो दूर की बात है, सच कहूं तो मुझे आज शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट में इतने घटिया और मानसिक विक्षिप्त न्यायाधीश मौजूद हैं। Support Parakram News