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Opinion: हिजाब का मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई; कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही था।

कर्नाटक में कुछ मुस्लिम छात्राएं कक्षा (Class) में हिजाब पहनने की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के पास पहुंची थी। 5 फरवरी को इस मांग को ख़ारिज करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि, ‘मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में आवश्यक धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है व शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते।’

इस मामले ने अब फिर से तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कर्नाटक हिजाब मामले को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया है। प्रशांत भूषण ने CJI एनवी रमना के समक्ष कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ अपील का उल्लेख किया जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था। मामले का संज्ञान लेते हुए CJI रमना ने कहा है कि अगले सप्ताह इस मामले को उचित बेंच के समक्ष लिस्ट किया जाएगा।

क्यों सही है कर्नाटक हाईकोर्ट का शैक्षिक संस्थान में हिजाब ना पहनने देने का फैसला?

  • ड्रेस कोड (Dress Code)

ड्रेस कोड बनाया ही इसलिए जाता है ताकि एक संस्थान में सब एक जैसे दिखें, जिससे किसी के साथ कोई भेद-भाव ना हो, ऊंच-नीच की भावना ना हो।

हिजाब सीधे तौर पर ड्रेस कोड के मूल प्रयोग को ही खंडित कर देता है। हिजाब का प्रयोग करने वाली लड़कियां समान्य तौर पर बाकी बच्चों से अलग ही दिखेंगी। अगर आप ड्रेस कोड के समर्थन में हैं तो आप किसी भी प्रकार से स्कूल में हिजाब को न्यायोचित नहीं ठहरा सकते।

  • आवश्यकता

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पहनने की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा था कि, ‘मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में आवश्यक धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है।’

हिजाब के पक्ष में खड़े वकील भी इस बात को नहीं साबित कर पाए थे कि इस्लाम में हिजाब पहनना आवश्यक है। ऐसे में आज एक पक्ष हिजाब की मांग कर रहा है तो हो सकता है कि दूसरा पक्ष कल को भगवा गमछे की मांग शुरू कर दे। किस-किस को मना किया जाएगा तब?

  • पितृसत्ता (Patriarchy)

तथाकथित ब्राह्मण पितृसत्ता (Brahminical Patriarchy) की बात करते हुए घुंघट के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को आपने जरूर देखा व सुना होगा। क्या हिजाब पितृसत्ता का प्रतीक नहीं है?

Former Twitter CEO with Brahminical Patriarchy poster (Left); Burkha clad women protesting against Brahminical Patriarchy (Right)

खैर, इस सवाल का जवाब मैं आप लोगों के विवेक पर छोड़ देता हूं, क्योंकि मुझे इसका मुझे बहुत ज्ञान नहीं है।

हिजाब, निकाब और बुर्का/अबाया में अंतर समझना व समझाना होगा।

कर्नाटक हिजाब विवाद के दौरान काफी छात्राओं ने हिजाब की जगह बुर्का व निकाब पहना हुआ था।

Pro Hijab protest by students wearing Burkha and Niqab.

हिजाब सिर्फ सर ढकने के लिए प्रयोग किया जाता है जबकि निकाब में सिर्फ आंखे ही दिखाई देती हैं। निकाब का कपड़ा गले और कंधों को ढकते हुए सीने तक आता है। वहीं बुर्का एक ऐसी पोशाक है जिसे औरतें अपने आप को पूरी तरह से ढकने के लिए पहनती हैं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मांग किस चीज की हो रही है, यह स्पष्ट हो ताकि इसके बाद किसी प्रकार का विवाद ना हो।

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