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Allahabad High Court: प्रधानमंत्री को गाली देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा नहीं; हाई कोर्ट ने मुम्ताज मंसूरी के खिलाफ हुई FIR रद्द करने से किया इंकार।

Freedom of speech doesn’t cover abusing Prime Minister says Allahabad High Court: प्रधानमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुम्ताज मंसूरी (Mumtaz Mansoori) की FIR रद्द करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली मुम्ताज मंसूरी (Mumtaz Mansoori) ने 2020 में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व अन्य मंत्रियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर काफी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद मुम्ताज के खिलाफ मीरगंज पुलिस थाने में FIR दर्ज की गई थी।

मुम्ताज के खिलाफ मीरगंज पुलिस ने आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और आईटी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने की सजा) के तहत मामला दर्ज किया था।

अपने विरूद्ध दर्ज FIR को रद्द करवाने के लिए मुम्ताज मंसूरी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस राजेंद्र कुमार‌ ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी की है।

मुम्ताज मंसूरी (Mumtaz Mansoori) की याचिका को ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने कहा कि, ‘संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मान्यता देता है लेकिन यह अधिकार प्रधान मंत्री या अन्य मंत्रियों के खिलाफ गाली-गलौज करने तक नहीं है।’

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