IAF Retired Sergeant Ghanshyam Singh alleged that the credit and award for his bravery was given to another officer: बीते 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान वायु सेना के 8 जवानों को वीरता पुरस्कार दिया गया था। इसमें एक नाम लेफ्टिनेंट डी. रविंद्र राव (Lieutenant D. Ravindra Rao) का भी था। जिसपर राजस्थान (Rajasthan) के रहने वाले IAF के ही सेवानिवृत्त सार्जेंट घनश्याम सिंह (Sergeant Ghanshyam Singh) ने आपत्ती जताई है। सर्जेंट घनश्याम का कहना है कि उनके द्वारा किए गए वीर कार्य का श्रेय दूसरे अधिकारी (Flight Lieutenant D. Ravindra Rao) को मिला है।
क्या है पूरा मामला?
6 नवंबर 2021 को आगरा एयरबेस (Agra Airbase) पर IAF का जगुआर विमान उतारा जा रहा था। एक-के-बाद एक तीन जागुआर विमानों की लैंडिंग होनी थी। दो विमान तो आसानी से एयर बेस पर लैंड कर गए लेकिन तीसरा विमान लैंड करते समय पलट (Jaguar Fighter Plane Crash Landing) गया और उसमें आग लग गई।
सेवानिवृत्त सार्जेंट घनश्याम सिंह (Retired Sergeant Ghanshyam Singh) का कहना है कि क्रैश की आवाज सुनकर वह अपनी टीम के साथ रनवे पर पहुंचे। जहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि जगुआर फाइटर विमान (Jaguar Fighter plane crash) के पीछे आग लगी हुई है। जिसके बाद आग बुझाने के लिए साथी फायर फाइटरों ने विमान के ऊपर फोम डालना शुरू कर दिया था।
इस दौरान सार्जेंट घनश्याम सिंह ने देखा कि विमान की कैनोपी में कुछ हलचल हो रही है। यह देख सार्जेंट घनश्याम को समझ में आया कि विमान के अंदर अभी भी पायलट फंसा हुआ है। इसपर उन्होंने फायर फाइटरों से विमान के ऊपर फोम ना डालने को कहा क्योंकि इससे पायलट को सांस लेने में तकलीफ हो सकती थी।
हर तरफ धुआं हो जाने के कारण घनश्याम सिंह को सिर्फ पायलट का सर दिख रहा था। किसी तरह रेंगते हुए सार्जेंट घनश्याम सिंह जगुआर फाइटर विमान की कैनोपी तक पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि पायलट उल्टा लटका हुआ है और सीट बेल्ट बंधी हुई है। सार्जेंट घनश्याम ने जैसे ही पायलट के सीट बेल्ट का एक स्ट्रैप खोला तो वह चिल्लाने लगे की गर्म है! गर्म है!
सेवानिवृत्त सार्जेंट घनश्याम सिंह (Retired Sergeant Ghanshyam Singh) का कहना है कि पायलट के चिल्लाने से वह थोड़ा घबरा गए थे। जब उन्होंने पानी पर हाथ लगाया तो उन्होंने पाया कि जिस पानी का छिड़काव हो रहा था, वह पानी गर्म था। जिसके बाद उन्होंने फायर फाइटरों से पानी का छिड़काव करने के लिए मना किया।
घनश्याम सिंह ने कहा कि एक हार्नेस खोलने के बाद पायलट का आधा शरीर बाहर आ चुका था। जिसके बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी. रविंद्र राव (Flt. Lt. D Ravindra Rao) आए और उन्होंने भी मदद की। जब पायलट लगभग पूरी तरह से बाहर आ चुका था, तभी कॉकपिट के अंदर धुआं भरना शुरू हो गया।
सफेद धुआं निकलता देख ब्लास्ट होने के डर से लेफ्टिनेंट राव पीछे हट गए। हालांकि तब भी पायलट का एक पांव विमान के अंदर ही फंसा हुआ था। जिसके बाद सार्जेंट घनश्याम सिंह (Retired Sergeant Ghanshyam Singh) ने अपने जेब से ब्लेड निकाला और हार्नेस को काटकर पायलट को बाहर खींच लिया।
घनश्याम सिंह ने बताया कि पायलट को बाहर निकालने के बाद वह थोड़ी देर के लिए अचेत हो गए थे। हालांकि उन्होंने उससे पहले ही पायलट की टांग पकड़कर उन्हें बाहर निकाल दिया था और मेडिकल असिस्टेंट से कहा था, ‘इनकों (पायलट) ले जाओ।’
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान सेवानिवृत्त सार्जेंट घनश्याम सिंह ने क्या कहा?
सेवानिवृत्त सार्जेंट घनश्याम सिंह (Retired Sergeant Ghanshyam Singh) ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि, “भारतीय वायु सेना में इस बार 15 अगस्त को दिए गए गैलंट्री अवॉर्ड्स की लिस्ट में जगुआर फाइटर प्लेन का क्रैश था 6 नवंबर वाला। उसके लिए किसी और अधिकारी (Flight Lieutenant D Ravindra Rao) को अवार्ड दिया गया। जिसे देख कर बड़ा झटका लगा मुझे। अधिकारी का जब साइटेशन देखा तो पाया कि जो कार्य मैंने किये हैं, वो सारे उसके साइटेशन में लिखें गए थे।”
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अवार्ड ना मिलने का कोई दुःख नहीं है। दुःख उन्हें इस बात का है कि जो कार्य उन्होंने किया था उसका श्रेय किसी और को दे दिया गया। सार्जेंट घनश्याम का कहना है कि सबसे पहले उन्होंने पायलट को बचाने की पहल की थी और जब 80 से 90% काम हो चुका था तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट राव वहां पहुंचे थे। उन्होंने अपने दावे को लेकर सोशल मीडिया पर कई सबूत भी दिए हैं।
सार्जेंट घनश्याम सिंह का कहना है कि उनके अभी के बयानों को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के समय वाले बयानों से भी मिलाया जाए तो उसमें कैई अंतर नहीं मिलेगा।