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Allahabad High Court: आर्य समाज मंदिरों ने विवाह कराने के अधिकारों का दुरपयोग किया है, विवाह साबित करने के लिए आर्य समाज का प्रमाण पत्र काफी नहीं।

Arya Samaj Mandir Certificate Not Enough to Prove Marriage: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (Saurabh Shyam Shamshery) की बेंच ने आर्य समाज मंदिरों (Arya Samaj Mandir) में हुई शादियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बात कही है। न्यायमूर्ति ने कहा कि आर्य समाज ने दस्तावेजों की वास्तविकता को चेक किए बिना शादियां करा कर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है।

इतना ही नहीं न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने आगे कहा कि आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी किया गया विवाह प्रमाण पत्र नाकाफी है। सिर्फ इस प्रमाण पत्र से विवाह की वैद्यता नहीं साबित की जा सकती।

क्या है पूरा मामला?

आर्य समाज मंदिर में शादी करने वाला एक जोड़ा कुछ दिनों से अलग-अलग रह रहा था। जिसके बाद पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए यह आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी को मायके वालों ने घर में बंधक बनाकर रखा हुआ है।

याचिकाकर्ता पति के वकील ने कानपुर आर्य समाज का एक प्रमाण पत्र व कुछ अन्य तस्वीर पेश करते हुए यह साबित करने की कोशिश की थी कि दोनों शादी-शुदा हैं। जिसपर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कहा- अदालत आर्य समाज द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों से भरा हुआ है। समय-समय पर अन्य न्यायालयों में भी इन प्रमाण पत्रों की वास्तविकता को लेकर सवाल उठाए हैं।

हालांकि कोर्ट ने लड़की के लिखित बयान को मद्देनजर रखते हुए यह याचिका ख़ारिज कर दी है। लड़की ने अपने लिखित बयान में शादी से इनकार करते हुए यह लिखा था कि वह अपनी स्वेच्छा से अपने माता-पिता के साथ रह रही है।

आपको बता दें कि इससे पहले भी कई बार आर्य समाज मंदिरों (Arya Samaj Mandir) में हुई शादी को लेकर सवाल उठाए गए हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है‌।

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