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पूर्व शिव सैनिक रमेश सोलंकी हुए भाजपा में शामिल; MVA गठबंधन बनने के बाद इस्तीफा देने वाले सबसे पहले शिव सैनिक थे रमेश सोलंकी।

Former Shiv Sainik Ramesh Solanki joins BJP: महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद इस्तीफा देने वाले सबसे पहले शिव सैनिक रमेश सोलंकी ने आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में रमेश ने भाजपा की सदस्यता ली है।

क्या है पूरा मामला?

नवंबर 2021 में जैसे ही यह बात सामने आई थी कि कांग्रेस, शिवसेना व एनसीपी एक साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं तो इससे काफी लोगों को हैरानी हुई थी। हालांकि राजनीति मैं तो यह सब चलता ही रहता है लेकिन इस बीच एक ऐसे उसूलों वाले नेता थे जिन्होंने गठबंधन होने के चंद घंटों बाद ही शिवसेना से इस्तीफा दे दिया। उस नेता का नाम है- रमेश सोलंकी

21 साल तक शिवसेना के सदस्य रहे रमेश सोलंकी ने 26 नवंबर 2019 को शिवसेना से इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफा देने का सबसे बड़ा कारण था ‘वैचारिक मतभेद।’ रमेश सोलंकी ने MVA गठबंधन को बाला साहब के सिद्धांतों के विरुद्ध बताते हुए इस्तीफा दिया था।

अपने इस्तीफे की जानकारी को सार्वजनिक करते हुए रमेश ने 26 नवंबर 2019 को एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे। इस दौरान उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की भी चर्चा की थी। रमेश सोलंकी ने लिखा था कि 1998 में जब वह 12 वर्ष के थे तब उन्होंने शिवसेना ज्वाइन की थी। पिछले 21 सालों में उन्होंने बाला साहेब के एक सच्चे शिव सैनिक होने के नाते पार्टी और हिंदुत्व विचारधारा के लिए अनेकों कार्य किए।

इस्तीफा देते हुए रमेश सोलंकी ने अपने ट्वीट में यह भी साफ किया था कि एक सच्चा शिव सैनिक होने के नाते उनकी विचारधारा और चेतना उन्हें कांग्रेस के साथ कार्य करने की इजाजत नहीं दे रही है। अंत में रमेश ने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए यह लिखा था कि, जो मेरे राम का नहीं है, वह मेरे किसी काम का नहीं है।

रमेश सोलंकी बने भाजपाई।

आज रमेश सोलंकी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से अपने शुभचिंतकों को भाजपा के साथ जुड़ने की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि अब वह आधिकारिक तौर पर भाजपा परिवार के सदस्य बन गए हैं। इसके बाद उन्होंने लिखा कि ‘मैं हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा और हमारे महान राष्ट्र के लिए काम करता रहूंगा।’

आपको यह भी याद दें कि एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने भी वैचारिक समझौते का हवाला देते हुए उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। उन लोगों का कहना था कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस शिवसेना को कमजोर कर रही है।

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