Opinion: हिजाब का मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई; कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही था। Editor Picks India Opinions Politics by Parakram News - July 13, 2022July 13, 2022 कर्नाटक में कुछ मुस्लिम छात्राएं कक्षा (Class) में हिजाब पहनने की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के पास पहुंची थी। 5 फरवरी को इस मांग को ख़ारिज करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि, 'मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में आवश्यक धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है व शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते।' इस मामले ने अब फिर से तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कर्नाटक हिजाब मामले को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया है। प्रशांत भूषण ने CJI एनवी रमना के समक्ष कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ अपील का उल्लेख किया जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर
इस देश के न्यायाधीश व न्यायालयों से एक हिंदू के कुछ प्रश्न; अगर हिम्मत और नैतिकता बची है तो जवाब जरूर दीजियेगा। Editor Picks Opinions by Parakram News - July 1, 2022July 1, 2022 धर्म संसद में दी जाने वाली हेट स्पीच का आप स्वतः संज्ञान ले लेते हैं तो मौलाना तौकीर रज़ा द्वारा लगातार दिए गए भड़काऊ भाषणों पर चुप्पी क्यों? अगर नुपुर शर्मा के बयान के कारण उदयपुर में कन्हैया लाल जी की हत्या हुई है तो उस्मान रहमानी, जिसने हमारे महादेव पर विवादित टिप्पणी की और नुपुर को भड़काया, उसकी जवाबदेही अब तक तय नहीं हुई, ऐसा क्यों? ओवैसी का छोटा भाई, अकबरुद्दीन ओवैसी जिसने हमारी देवी माता सीता पर अभद्र टिप्पणी की, वो बाइज्जत बरी क्यों? इस देश में हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक बनाने वाले व्यक्ति को हमारा न्यायतंत्र 24 घंटे के अंदर बरी (रतन लाल) कर देता है तो गुस्ताख़-ए-नबी की एक ही सज़ा क्यों? अगर नबी के बारे में बोलना गुस्ताखी है
मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर बिलबिलाया विपक्ष; देखें किन बड़े नामों ने किया हिंदू हेटर का समर्थन। Opinions Politics by Satyam Tiwari - June 27, 2022June 27, 2022 Many top leaders from opposition condemned Mohammed Zubair Arrest: ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और तथाकथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने (Hurting Religious Sentiments) के आरोप में गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस ने एक ट्विटर यूजर की शिकायत पर जुबैर को आईपीसी की धारा 153/295 के तहत गिरफ्तार किया है। आपको बता दें कि हिंदू घृणा में अंधे हो चुके इस तथाकथित फैक्ट चेकर ने पूर्व में कई बार हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक बनाया था। जुबैर की गिरफ्तारी के बाद से ही 'संविधान को खतरे' में बताने वाला गैंग सक्रिय हो गया है। विपक्षी दलों ने तो ट्विटर पर केंद्र सरकार को घेरना भी शुरू कर दिया है।आइये विपक्ष के
Apartheid Bollywood: बॉलीवुड में कूट-कूट कर भरा है रंगभेद; ‘शाबाश मिट्ठू’ इसका नया उदाहरण। Editor Picks Opinions by Satyam Tiwari - June 20, 2022June 22, 2022 हिंदी फिल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड। वही बाॅलीवुड जिसके दिग्गज कलाकार अक्सर आपको ज्ञान कि बातें करते दिखाई दे देंगे। ये अभिनेता राजनीति से लेकर रंगभेद तक, देश-दुनियां में हो रही हर छोटी-बड़ी घटना पर बड़ी प्रखरता से अपना पक्ष रखते हैं। कई बार इनके वक्तव्य सुनकर ऐसा लगता है मानो इनसे बड़ा ज्ञानी आज-तक दुनिया में पैदा ही नहीं हुआ। हालांकि आप अगर बाॅलीवुड वालों की 'कथनी' और 'करनी' को थोड़ा करीब से देखेंगे तो आपको इसमें 'ज़मीन' और 'आसमान' जितना अंतर दिखाई देगा। आज हम अपनी कलम से आपके लिए बॉलीवुड की तीन फिल्मों का विश्लेषण करेंगे। यह विश्लेषण बॉलीवुड की रंगभेद वाली प्रवृत्ति को आपके समक्ष उजागर करेगा। ये तीनों फिल्में कुछ इस प्रकार हैं: शाबाश मिट्ठू (क्रिकेटर मिताली राज पर बनी
Russia-Ukraine Conflict: अपनी पुरानी गलतियों का परिणाम भुगत रहा है यूक्रेन। Opinions World by Satyam Tiwari - February 25, 2022March 29, 2022 'गरजने वाले बादल बरसते नहीं है।' हिंदी का यह सुप्रसिद्ध मुहावरा अक्सर बड़बोले व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है। आज यह मुहावरा UN और NATO जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं पर काफी सही बैठता है। अपने बोड़बोले पन के लिए प्रख्यात यह संस्थाए जरूरत के समय यूक्रेन के किसी काम ना आ सकीं। आलम तो यह है कि कल तक NATO के गुणगान गाने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति आज यह कहते दिखाई दे रहें है कि, 'दुनिया ने हमें रूस से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया।' कोरोना काल ने विश्व को WHO की वास्तविकता और विश्वसनीयता से परिचित करवा ही दिया था, अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक और विश्वस्तरीय संस्थान, UN को भी दुनिया के सामने नंगा कर के रख
Karnataka Hijab Row: तालिबान (Taliban) ने किया हिजाब का समर्थन; हिजाब के प्रति भारतीय मुस्लिम लड़कियों के संघर्ष को सराहा। India Opinions Politics by Parakram News - February 10, 2022February 10, 2022 Taliban Comes in Support of Karnataka Hijab Row: 'नया तालिबान' जो अपने तथाकथित आधुनिक मूल्यों के लिए जाना जाता है, उसने हिजाब के प्रति भारतीय मुस्लिम लड़कियों के संघर्ष को सराहा है। यह वही आधुनिक मूल्यों वाला नया तालिबान है जो: प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद पत्रकारों को मारता है।औरतों को हिजाब और बुर्का पहनने को मजबूर करता है।औरतों को मर्दों की गैर-मौजूदगी में आने-जाने पर रोक लगाता है।लड़कियों को ओलंपिक व अन्य खेल नहीं खेलने देता क्योंकि उसमें छोटे कपड़े पहनने पडे़ंगे।जबरदस्ती घर में घुसकर लड़कियों का रेप करता है। ऐसे आधुनिक मूल्यों वाले नए तालिबान(Taliban) के प्रवक्ता (Spokesperson) मौलवी इनामुल्लाह हबीबी समानगनी (Maulvi Inamullah Habibi Samangani) ने कर्नाटक (Karnataka) में हो रहे हिजाब (Hijab) के तथाकथित संघर्ष का समर्थन करते हुए
UP Election 2022: जातीय समीकरण क्या कहता है? जानिये किसकी बन सकती है सरकार ? Opinions Politics by Satyam Tiwari - January 20, 2022January 20, 2022 वैसे तो चुनाव के दौरान बहुत बड़ी-बड़ी बातें कही जाती हैं कि लोग विकास, रोजगार एवं उम्मीदवार की शिक्षा के आधार पर वोट करते है, लेकिन यह पूर्णतः सच नहीं है। आज भी बड़े पैमाने पर लोग जाति एवं पंथ के अनुसार अपनी सरकार व उम्मीदवार को चुनते है। अगर हम बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां पर कई राजनैतिक दल ऐसे भी है, जो सिर्फ एक जाति व संप्रदाय के ही बनकर रह गए है। इस लेख में हम आपको पिछले कुछ समय से चले आ रहे वोटिंग पैटर्न के बारे में बताएंगे। इससे आपको उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के रुझान समझने में आसानी होगी। मुस्लिम (18%) पिछले कुछ चुनावों में यह देखने को मिला है कि मुसलमान एकमत होकर
Kashmiri Pandit Exodus: आजाद भारत में गज़वा-ए-हिंद की पहली कोशिश। Opinions इतिहास by Satyam Tiwari - January 19, 2022January 23, 2022 32 साल पहले आज के ही दिन (जनवरी, 19) कश्मीरी पंडितों के समक्ष तीन विकल्प रखे गए थे; 'रालिव', 'गालिव' या 'चालिव' अर्थात 'पंथ/धर्म परिवर्तन', 'मौत' या 'भाग जाना'। अपनों की सलामती के लिए अधिकतर कश्मीरी पंडितों ने 'गालिव' विकल्प चुनना ज्यादा सही समझा। 19 जनवरी, 1990 को 60 हजार से अधिक कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी और एक पल में वह अपने ही देश में शरणार्थी बन गए। साल 1990 की शुरुआत में घाटी में लगभग 5 लाख कश्मीरी पंडित रहते थे, लेकिन साल के अंत तक सिर्फ 25 हजार ही बचे रह गए। उस दौरान जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस व नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन की सरकार थी। अलगाववादियों के इशारे पर नाचने वाली यह सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों के नरसंहार
प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रोका जाना संयोग या प्रयोग? Opinions by Parakram News - January 5, 2022January 5, 2022 PM Modi security breach: एक देश जिसने अराजक तत्वों के कारण अपने दो प्रधानमंत्रीयों को खो दिया हो, उसे हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहिए। लेकिन आज के दिन जो कुछ भी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ हुआ, उसे देखकर ऐसा लगता नहीं है कि हमने अपनी पिछली गलतियों से कुछ सीखा है। आज प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट से ज्यादा समय तक एक फ्लाईओवर के ऊपर खुले में खड़ा रहा। इतना ही नहीं, विरोध कर रहें लोग भी प्रधानमंत्री के काफिले के बेहद करीब थे। क्या होता अगर कुछ अनहोनी हो जाती तो? किसकी जवाबदेही होती? खैर यह दो सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब मिलना मुश्किल है क्योंकि अब इस पर सिर्फ राजनीति ही हो सकती है। भाजपा का कहना
कोरोना संक्रमण का कोई संघीय समाधान नहीं, इसे राज्य स्तर पर हल किया जाना चाहिए- यह कहने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden गए छुट्टी मनाने। सोचिये अगर यही बात मोदी ने कही होती तो? Opinions by Satyam Tiwari - December 29, 2021December 29, 2021 अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक कायराना बयान दिया है। इस बयान में उन्होंने अपने देश के राज्यपालों से कहा कि 'कोरोना संक्रमण का कोई संघीय समाधान नहीं है व इसे राज्य स्तर पर हल किया जाना चाहिए।' यह कहने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति अपने Delaware Beach House में छुट्टियां मनाने चले गए। अनुमान है कि बाइडन अगले 1 हफ्ते तक वहीं रहेंगे। सोचिए अगर यही बात हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने कही होती? क्या होता अगर मोदी यह कहते कि 'मैं छुट्टियां मनाने अपने घर गुजरात जा रहा हूं अतः राज्य सरकारें कोरोना से बचाव के लिए खुद रास्ता ढूंढ ले।' हालांकि वह अगर ऐसा कह भी देते तो इसमें कुछ गलत ना होता क्योंकि स्वास्थ्य