अटल जी द्वारा लिखी गई कविता : हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय। व्यक्ति विशेष by Satyam Tiwari - October 31, 2021October 31, 2021 मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार। डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार। रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास। मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुआंधारय। फिर अन्तरतम की ज्वाला से, जगती में आग लगा दूं मैं। यदि धधक उठे जल-थल, अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय? हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय।